पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना ERCP पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों को सिंचाई, पेयजल और उद्योगों के लिए पानी की आपूर्ति करने के लिए बनाई गई परियोजना है लेकिन यह परियोजना राजनीति का अखाड़ा बन गई है।
ERCP का मुख्य उद्देश्य मोड़दार संरचनाओं की सहायता से अंतर-बेसिन जल अंतरण चैनलों को जोड़ने तथा मुख्य फीडर चैनलों को जल आपूर्ति हेतु वाटर चैनलों का एक नेटवर्क तैयार करना है जो राज्य की 41.13% आबादी के साथ राजस्थान के 23.67% क्षेत्र को कवर करेगा।
पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना ERCP क्या है ?
राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के कार्यकाल में पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ERCP) का खाका तैयार किया गया था। जिसके अंतर्गत चंबल, पार्वती, और कालीसिंध नदी को जोड़ने की रूपरेखा तैयार की गई थी। ताकि राजस्थान के 13 जिले जिनमे जयपुर, करौली, टोंक, अजमेर, दौसा, सवाई माधोपुर, बारा, अलवर, भरतपुर, धौलपुर, झालावाड़, बूंदी और कोटा को जल संकट से छुटकारा पाया जा सके। इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य पेयजल के साथ किसानों को सिंचाई के लिए भी जरूरत का पानी उपलब्ध करना है।
ERCP के तहत 26 छोटे और बड़े बांधों का निर्माण किया जाएगा। जिससे दो लाख हेक्टेयर नए कमांड क्षेत्र के साथ 80 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई में सुधार आएगा। करीब 1268 किलोमीटर लंबा कैनाल भी विकसित किया जाएगा।
ERCP से किन किन जिलों को लाभ पहुंचेगा
ERCP में कौन कौन सी नदियों को जोड़ा जायेगा
- 1500 एमसीएम पानी सिंचाई के लिए
- 1723 एमसीएम पीने का पानी के लिए
- 284.4 एमसीएम पानी उद्योगों के लिए
राष्ट्रीय दर्जा मिलाने से ERCP को क्या लाभ है
- राष्ट्रीय दर्जा प्राप्त होने से मध्यप्रदेश सरकार परियोजना में रोक नहीं लगा सकती।
- परियोजना का काम तेजी से और गुणवक्तापूर्वक होगा।
- कुल खर्च राशि का 90 प्रतिशत केन्द्र सरकार वहन करेगी और 10 प्रतिशत राज्य सरकार।
ERCP पर नेताओं और सरकारों का रुख क्या है
ERCP को पूरा करने के लिए कितना बजट चाहिए
ईआरसीपी योजना के लिए सरकार क़ो 40,000 हजार करोड़ की जरुरत होगी। इससे राजस्थान की 23.67 फ़ीसदी भूमि पर रहने वाली 41.67 फीसदी आबादी को इस योजना का फायदा मिलेगा।
यदि ERCP को राष्ट्रिय दर्जा नहीं दिया जाता है तो...
- इस परियोजना पर खर्च होने वाली राशि का 75 प्रतिशत राजस्थान सरकार को और 25 प्रतिशत राशि केन्द्र सरकार वहन करना होगा ।
- मध्यप्रदेश सरकार से NOC लेनी होगी क्योकि कुछ पानी मध्यप्रदेश से आता है, यह सबसे बड़ी अड़चन साबित होगा।
लोगो की मांग और आंदोलन एक नजर में
पिछले कुछ दिनों में अपने न्यूज़पेपर की हेडिंग देखी होंगी साथ ही साथ टीवी चैनल्स पर भी इस मुद्दे के बारे में अवश्य ही सुना होगा। अब लोगो ने जगरूप अभियान के तहत सोशल मीडिया से सड़क तक मोर्चा संभाल रखा है।
ERCP को राष्ट्रिय दर्जा दिलाने के लिए युवा नेता सोशल मीडिया, राजनेताओं का घेराव, धरना प्रदर्शन के साथ साथ गाँवो में पंच पटेलों के माध्यम से लगातार जन आंदोलन के रूप में बदलें की कोशिस कर रहे है। इससे केन्द्र सरकार के खिलाफ माहौल बनता देख भाजपा हरकत में आ रही है।
- राजस्थान में तेज हुआ ERCP आंदोलन, बीजेपी सांसद मनोज राजोरिया को प्रदर्शनकारियों ने घेरा
- 12 गांवों के पंच-पटेलों ने दिया ईआरसीपी जन जागरण अभियान को दिया समर्थन
- ERCP को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिलाने के लिए करौली में किसान महापंचायत का हुआ आयोजन
- सवाईमाधोपुर में सोमवार को किसानों ने भारतीय किसान यूनियन व भूप्रेमी परिवार संगठन के बैनर तले कलेक्ट्रेट के सामने प्रदर्शन किया।
- ERCP राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने की मांग: पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को लेकर किसानों ने किया प्रदर्शन
- ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना बनाने के लिए क्रिकेट प्रतियोगिता में भी प्रचार
राजस्थान भौगोलिक क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का सबसे बड़ा राज्य है लगभग भारत के क्षेत्रफल का 10. 41% लेकिन पानी की कमी के चलते भारत के सरफेस वाटर और भूजल का लगभग यहां पर 1. 14% जल है।